ये जो नज़रें झुकाकर तुम कत्ल-ए-आम करती हो, इतना संग | हिंदी Shayari

"ये जो नज़रें झुकाकर तुम कत्ल-ए-आम करती हो, इतना संगीन अपराध कैसे तुम सरेआम करती हो...... गर कोई देख ले तुमको कभी ग़लती से इक दफ़ा, तुम पलट कर देखती हो तो काम तमाम करती हो...... ©Poet Maddy"

 ये जो नज़रें झुकाकर तुम कत्ल-ए-आम करती हो,
इतना संगीन अपराध कैसे तुम सरेआम करती हो......
गर कोई देख ले तुमको कभी ग़लती से इक दफ़ा,
तुम पलट कर देखती हो तो काम तमाम करती हो......

©Poet Maddy

ये जो नज़रें झुकाकर तुम कत्ल-ए-आम करती हो, इतना संगीन अपराध कैसे तुम सरेआम करती हो...... गर कोई देख ले तुमको कभी ग़लती से इक दफ़ा, तुम पलट कर देखती हो तो काम तमाम करती हो...... ©Poet Maddy

ये जो नज़रें झुकाकर तुम कत्ल-ए-आम करती हो,
इतना संगीन अपराध कैसे तुम सरेआम करती हो......
#Murder#Eyes#crime#Publicly#See#ByMistake#Lookback#done.........

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