मंजिले उस तक ही है मेरी मग़र रास्ते भूल गया हूँ, व | हिंदी शायरी

"मंजिले उस तक ही है मेरी मग़र रास्ते भूल गया हूँ, वो कर रही है इन्तज़ार मेरा और मैं इधर सवालात में फंस गया हूँ, समझ नहीं आता मुझे कि क्या करू अब, लगता है रास्ते बदल अब मैं मंज़िल से भटक गया हूँ... ©Red Shayar"

 मंजिले उस तक ही है मेरी मग़र रास्ते भूल गया हूँ, वो कर रही है इन्तज़ार मेरा और मैं इधर सवालात में फंस गया हूँ, समझ नहीं आता मुझे कि क्या करू अब, लगता है रास्ते बदल अब मैं मंज़िल से भटक गया हूँ...

©Red Shayar

मंजिले उस तक ही है मेरी मग़र रास्ते भूल गया हूँ, वो कर रही है इन्तज़ार मेरा और मैं इधर सवालात में फंस गया हूँ, समझ नहीं आता मुझे कि क्या करू अब, लगता है रास्ते बदल अब मैं मंज़िल से भटक गया हूँ... ©Red Shayar

#Memories

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