"हर साँचा ए फ़रेब में ढलने लगे हैं लोग ।
अब देखिए तो फूलने फलने लगे हैं लोग ।।
मौक़ा परस्तियों ने उन्हें कर दिया ज़हीन ।
गिरगट की तरह रंग बदलने लगे हैं लोग ।।
अबतो जफ़ा के ज़ख़्म से बचना मुहाल है।
अबतो वफ़ा के नाम पे छलने लगे हैं लोग।।
पैसों की एक हूक में दीन ओ धरम से दूर।
अंधी बस एक चाल सी चलने लगे हैं लोग।।
अपने ग़मों की आग से सुलगे नहीं वो नील।
मेरे सुकून ओ चैन से जलने लगे हैं लोग।।
©Self Made Shayar
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