बड़ी बेबाक़ होती है पसीने की अदा साहब सलीके में भी स | हिंदी शायरी

"बड़ी बेबाक़ होती है पसीने की अदा साहब सलीके में भी सबके हक़ का तेवर साथ चलता है जो ज़िंदा हैं ज़ुबाँ पर उनके जज़्बे की कहानी है महज़ यूं साँस लेने से कहाँ इतिहास बनता है -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal"

 बड़ी बेबाक़ होती है पसीने की अदा साहब
सलीके में भी सबके हक़ का तेवर साथ चलता है

जो ज़िंदा हैं ज़ुबाँ पर उनके जज़्बे की कहानी है
महज़ यूं साँस लेने से कहाँ इतिहास बनता है
-सरिता मलिक बेरवाल

©Sarita Malik Berwal

बड़ी बेबाक़ होती है पसीने की अदा साहब सलीके में भी सबके हक़ का तेवर साथ चलता है जो ज़िंदा हैं ज़ुबाँ पर उनके जज़्बे की कहानी है महज़ यूं साँस लेने से कहाँ इतिहास बनता है -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal

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