मन में लपेटे हो शांति दुशाल । उठा लो अब हाथ में क् | हिंदी कविता

"मन में लपेटे हो शांति दुशाल । उठा लो अब हाथ में क्रांति मशाल। दुश्मन भी सारे कांप उठे, अटल अविचल रहै ये गौरव भाल। दामन को अपने दाग से बचाईये । ये देश संवर जाएगा खुद को संवारिये। ©Anand Ji Mayura Ji"

 मन में लपेटे हो शांति दुशाल ।
उठा लो अब हाथ में क्रांति मशाल।
दुश्मन भी सारे कांप उठे,
अटल अविचल रहै ये गौरव भाल।
दामन को अपने दाग से बचाईये ।
ये देश संवर जाएगा खुद को संवारिये।

©Anand Ji Mayura Ji

मन में लपेटे हो शांति दुशाल । उठा लो अब हाथ में क्रांति मशाल। दुश्मन भी सारे कांप उठे, अटल अविचल रहै ये गौरव भाल। दामन को अपने दाग से बचाईये । ये देश संवर जाएगा खुद को संवारिये। ©Anand Ji Mayura Ji

कविता के रंग आनंद के संग

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