White तन्हा सफ़र... तन्हा सफ़र तेरी यादों का, मोहता | हिंदी कविता

"White तन्हा सफ़र... तन्हा सफ़र तेरी यादों का, मोहताज़ बनकर रह गया, जंग जैसी जिंदगी, एक राज बनकर रह गया। हूनर तो था नही, चाहत को बरकरार रखने की, इश्क़ के मैदान में, चाहत एक आगाज बनकर रह गया।। तेरी वो शब्द, मेरा आवाज़ बनकर रह गया, आँखों से टपका हर अश्क़, एक साज बनकर रह गया। ये दिल आज भी धड़कता है सिर्फ तेरे लिए, तेरी हर पसन्द मेरे सर की ताज बनकर रह गया।। तुम नही तो मैं नही, ऐसा एक अहसास बनकर रह गया, सोचा था तोड़ दूँगा हर एक बन्धन, ऐसा एक प्रयास बनकर रह गया। नींद - चैन - भूख - प्यास सब लूट ले गया है कोई , तुम आओगी, मनाओगी, जी रहा हूँ इस उम्मिद में, ऐसा एक आस बनकर रह गया ।। चारों तरफ़ अँधेरा ही अँधेरा नजऱ आ रहा है, बांकी के जिंदगी एक वनवास बनकर रह गया। तुम अगर साथ होती तो शायद ऐसा नही होता, पर कैसे कहे तुम्हें.…......................... तुम बिन ये जिंदगी एक जिंदा लाश बनकर रह गया ।।😢 ©Dr.Gopal sahu"

 White तन्हा सफ़र...
तन्हा सफ़र तेरी यादों का, मोहताज़ बनकर रह गया,
जंग जैसी जिंदगी, एक राज बनकर रह गया।
हूनर तो था नही, चाहत को बरकरार रखने की,
इश्क़ के मैदान में, चाहत एक आगाज बनकर रह गया।।

तेरी वो शब्द, मेरा आवाज़ बनकर रह गया,
आँखों से टपका हर अश्क़, एक साज बनकर रह गया।
ये दिल आज भी धड़कता है सिर्फ तेरे लिए,
तेरी हर पसन्द मेरे सर की ताज बनकर रह गया।।

तुम नही तो मैं नही, ऐसा एक अहसास बनकर रह गया,
सोचा था तोड़ दूँगा हर एक बन्धन, ऐसा एक प्रयास बनकर रह गया।
नींद - चैन - भूख - प्यास सब लूट ले गया है कोई ,
तुम आओगी, मनाओगी, जी रहा हूँ इस उम्मिद में, ऐसा एक आस बनकर रह गया ।।

चारों तरफ़ अँधेरा ही अँधेरा नजऱ आ रहा है,
बांकी के जिंदगी एक वनवास बनकर रह गया।
तुम अगर साथ होती तो शायद ऐसा नही होता,
पर कैसे कहे तुम्हें.….........................
तुम बिन ये जिंदगी एक जिंदा लाश बनकर रह गया ।।😢

©Dr.Gopal sahu

White तन्हा सफ़र... तन्हा सफ़र तेरी यादों का, मोहताज़ बनकर रह गया, जंग जैसी जिंदगी, एक राज बनकर रह गया। हूनर तो था नही, चाहत को बरकरार रखने की, इश्क़ के मैदान में, चाहत एक आगाज बनकर रह गया।। तेरी वो शब्द, मेरा आवाज़ बनकर रह गया, आँखों से टपका हर अश्क़, एक साज बनकर रह गया। ये दिल आज भी धड़कता है सिर्फ तेरे लिए, तेरी हर पसन्द मेरे सर की ताज बनकर रह गया।। तुम नही तो मैं नही, ऐसा एक अहसास बनकर रह गया, सोचा था तोड़ दूँगा हर एक बन्धन, ऐसा एक प्रयास बनकर रह गया। नींद - चैन - भूख - प्यास सब लूट ले गया है कोई , तुम आओगी, मनाओगी, जी रहा हूँ इस उम्मिद में, ऐसा एक आस बनकर रह गया ।। चारों तरफ़ अँधेरा ही अँधेरा नजऱ आ रहा है, बांकी के जिंदगी एक वनवास बनकर रह गया। तुम अगर साथ होती तो शायद ऐसा नही होता, पर कैसे कहे तुम्हें.…......................... तुम बिन ये जिंदगी एक जिंदा लाश बनकर रह गया ।।😢 ©Dr.Gopal sahu

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