त्रेता में सिर्फ़ देह जली थी
आज भी रावण जिंदा है।
दशानन के रूप में जाने
कितने रावण प्रस्तुत है।
दहेज दानव फैला हे खूब
जिंदा जलती सीते है।
अत्याचारी बलात्कारी
भीड़ में रावण विस्तृत है।
सत्य मुखौटा पहेनके ये
खुद को ज्ञानी कहते है।
अहंकारी लोभी लालची
पापी बड़ा वो दृष्ट है।
अहंकार को मिटाओ तुम
ये ज्ञान दंभी देते है।
स्व अध्याय न करे खुद का
अभिमान से संतृप्त है।
धनुष उठाओ अब सीते तुम
राम तुम्हारा साथी है।
जिंदा जलादो उस दानव को
तुम में महाकाली प्रस्तुत है।
©'ઉર'
#Dussehra