कैसो ये देश निगोड़ा, जगत होरी बृज होरा। कहा बूढ़े | हिंदी कविता

"कैसो ये देश निगोड़ा, जगत होरी बृज होरा। कहा बूढ़े कहा लोग लुगाई, एक से एक ठिठोरा।। न काहू कौ काहू से जोड़ा।।।"

 कैसो ये देश निगोड़ा, जगत होरी बृज होरा।
कहा बूढ़े कहा लोग लुगाई, एक से एक ठिठोरा।।
न काहू कौ काहू से जोड़ा।।।

कैसो ये देश निगोड़ा, जगत होरी बृज होरा। कहा बूढ़े कहा लोग लुगाई, एक से एक ठिठोरा।। न काहू कौ काहू से जोड़ा।।।

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