चमन में कौन बबूलों की डाल खींचता है
यहाँ जो आता है फूलों के गाल खींचता है
वो तीर बा'द में पहले सवाल खींचता है
सवाल भी जो समा'अत की खाल खींचता है
ऐ प्यार बाँटने वाले मैं ख़ूब जानता हूँ
कि कितनी देर में मछवारा जाल खींचता है
निकल भी सकता हूँ क़ैद-ए-तख़य्युलात से गर
वो शख़्स खींच ले जिस का ख़याल खींचता है
मैं उस के आगे नहीं खींचता नियाम से तेग़
वो शेर-शाह जो दुश्मन की ढाल खींचता है
ये सर्द सुब्ह में सोया शरारती सूरज
बस आँख खुलते ही परियों की शाल खींचता है
मैं होश-मंद हूँ ख़ुद भी सो मेरी ग़ज़लों में
न रक़्स करता है 'आशिक़ न बाल खींचता है
©Jashvant
परियों की शाल खींचता है PФФJД ЦDΞSHI ज़हर @Geet Sangeet @Andy Mann @Raj Guru