"वो मां जो तप करती है।
कभी युवा अवस्था में पति प्राप्ति के लिए।
बच्चे होने पर बच्चों के लिए।
वो मां कितना त्याग करती है।
कहते है ना मां के प्यार का कोई धर्म नहीं होता।
मां तो मां होती है।
शायद इसलिए ईश्वर भी बार बार मां का प्यार पाने आते हैं।
खुद को बेटा कहवाते हैं।
ऐसी तपस्वनी मां का पुत्र होना सौभाग्य है।
मां ब्रह्मचारिणी को सत सत प्रणाम है।
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