रोज़ तारों की रोशनी में खलल पडता है चाँद पागल है | हिंदी कविता

"रोज़ तारों की रोशनी में खलल पडता है चाँद पागल है अंधेरे में निकल पडता है"

 रोज़ तारों की रोशनी में खलल पडता है 
चाँद पागल है अंधेरे में निकल पडता है

रोज़ तारों की रोशनी में खलल पडता है चाँद पागल है अंधेरे में निकल पडता है

#sapne

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