ग़ज़ल पहन कर सुर्ख जोड़े को कदम धीरे उठाता है । सिसकन | हिंदी शायरी

"ग़ज़ल पहन कर सुर्ख जोड़े को कदम धीरे उठाता है । सिसकना ख़्वाब में जिसका मुझे अब तक सताता है ।। कहानी और बदलेगी अभी तो साँस है चलती । बुझे वो प्यार के दीपक नहीं अब यूँ जलाता है ।। बहारें पूँछ लेती हैं अभी भी नाम क्या उसका । मुहब्बत में तुम्हें दोजख यहाँ जो अब दिखाता है ।। करो शिकवा गिला हमसे नही अब आप भी ज्यादा । तुम्हारी राह में वो गुल अकेला ही खिलाता है ।। बचाकर हुस्न रक्खा है सुनो उसके लिए मैने । हमारे जो इशारे पे ये तारे तोड़ लाता है ।। जताकर वो.वफ़ा हमसे हमारा आज तन माँगे । जो दुनिया से अलग खुद को मुझे अक्सर बताता है ।। सभी आते प्रखर दौड़े मुहब्बत का दीया लेकर । मगर मैं राह तकती हूँ जो लेकर चाँद आता है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 ग़ज़ल
पहन कर सुर्ख जोड़े को कदम धीरे उठाता है ।
सिसकना ख़्वाब में जिसका मुझे अब तक सताता है ।।

कहानी और बदलेगी अभी तो साँस है चलती ।
बुझे वो प्यार के दीपक नहीं अब यूँ जलाता है ।।

बहारें पूँछ लेती हैं अभी भी नाम क्या उसका ।
मुहब्बत में तुम्हें दोजख यहाँ जो अब दिखाता है ।।

करो शिकवा गिला हमसे नही अब आप भी ज्यादा ।
तुम्हारी राह में वो गुल अकेला ही खिलाता है ।।

बचाकर हुस्न रक्खा है सुनो उसके लिए मैने ।
हमारे जो इशारे पे ये तारे तोड़ लाता है ।।

जताकर वो.वफ़ा हमसे हमारा आज तन माँगे ।
जो दुनिया से अलग खुद को मुझे अक्सर बताता है ।।

सभी आते प्रखर दौड़े मुहब्बत का दीया लेकर ।
मगर मैं राह तकती हूँ जो लेकर चाँद आता है ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल पहन कर सुर्ख जोड़े को कदम धीरे उठाता है । सिसकना ख़्वाब में जिसका मुझे अब तक सताता है ।। कहानी और बदलेगी अभी तो साँस है चलती । बुझे वो प्यार के दीपक नहीं अब यूँ जलाता है ।। बहारें पूँछ लेती हैं अभी भी नाम क्या उसका । मुहब्बत में तुम्हें दोजख यहाँ जो अब दिखाता है ।। करो शिकवा गिला हमसे नही अब आप भी ज्यादा । तुम्हारी राह में वो गुल अकेला ही खिलाता है ।। बचाकर हुस्न रक्खा है सुनो उसके लिए मैने । हमारे जो इशारे पे ये तारे तोड़ लाता है ।। जताकर वो.वफ़ा हमसे हमारा आज तन माँगे । जो दुनिया से अलग खुद को मुझे अक्सर बताता है ।। सभी आते प्रखर दौड़े मुहब्बत का दीया लेकर । मगर मैं राह तकती हूँ जो लेकर चाँद आता है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल
पहन कर सुर्ख जोड़े को कदम धीरे उठाता है ।
सिसकना ख़्वाब में जिसका मुझे अब तक सताता है ।।

कहानी और बदलेगी अभी तो साँस है चलती ।
बुझे वो प्यार के दीपक नहीं अब यूँ जलाता है ।।

बहारें पूँछ लेती हैं अभी भी नाम क्या उसका ।

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