कई खुशियां बेचकर एक ग़म उधार मिला है वो किसी और क | हिंदी Shayari

"कई खुशियां बेचकर एक ग़म उधार मिला है वो किसी और की हो गई ऐसा समाचार मिला है मेरी सहेली के शौहर ने उसपर बहुत ज़ुल्म ढाया है मैं समझ रही थी कि मुझको ही मरद बेकार मिला है ©ABHIKASH SHAYAR"

 कई खुशियां बेचकर एक ग़म उधार मिला है 
वो किसी और की हो गई ऐसा समाचार मिला है

मेरी सहेली के शौहर ने उसपर बहुत ज़ुल्म ढाया है 
मैं समझ रही थी कि मुझको ही मरद बेकार मिला है

©ABHIKASH SHAYAR

कई खुशियां बेचकर एक ग़म उधार मिला है वो किसी और की हो गई ऐसा समाचार मिला है मेरी सहेली के शौहर ने उसपर बहुत ज़ुल्म ढाया है मैं समझ रही थी कि मुझको ही मरद बेकार मिला है ©ABHIKASH SHAYAR

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