Can you just talk , बिन आडम्बर मिलते हो जितना उतन | हिंदी कविता

"Can you just talk , बिन आडम्बर मिलते हो जितना उतना ही चेहरा भाता है जितना देर तुम और ठहरते हो, उतना ही खुमार सा छाता है, खुदके कहने मे नहीं है पर, मन तुम को समझाता है, बातों मे बातें बनती हैँ, बातों से नशा हो जाता है... मौन व्रत के साथ मिलो पर, आँखों का निकाह हो जाता है.. कानो मे सांसे चलती हैँ, साँसो का विवाह हो जाता है... डूबा हुआ था गमो मे कितना, तुम संग सबतो स्वः हो जाता है बातों मे बातें बनती हैँ, बातों से नशा हो जाता है. ©Prem kumar gautam"

 Can you just talk , बिन आडम्बर मिलते हो जितना 
उतना ही चेहरा भाता है 
जितना देर तुम और ठहरते हो,
उतना ही खुमार सा छाता  है,
खुदके कहने मे नहीं है पर,
मन तुम को समझाता है,
बातों मे बातें बनती हैँ,
बातों से नशा हो जाता है...

मौन व्रत के साथ मिलो पर,
आँखों का निकाह हो जाता है..
कानो मे सांसे चलती हैँ,
साँसो का विवाह हो जाता है...
डूबा हुआ था गमो मे कितना,
तुम संग सबतो स्वः हो जाता है 
बातों मे बातें बनती हैँ,
बातों से नशा हो जाता है.

©Prem kumar gautam

Can you just talk , बिन आडम्बर मिलते हो जितना उतना ही चेहरा भाता है जितना देर तुम और ठहरते हो, उतना ही खुमार सा छाता है, खुदके कहने मे नहीं है पर, मन तुम को समझाता है, बातों मे बातें बनती हैँ, बातों से नशा हो जाता है... मौन व्रत के साथ मिलो पर, आँखों का निकाह हो जाता है.. कानो मे सांसे चलती हैँ, साँसो का विवाह हो जाता है... डूबा हुआ था गमो मे कितना, तुम संग सबतो स्वः हो जाता है बातों मे बातें बनती हैँ, बातों से नशा हो जाता है. ©Prem kumar gautam

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