White बहुत दर्प था दर्द को मेरे न टूटूंगा, मगर | हिंदी कविता Video

"White बहुत दर्प था दर्द को मेरे न टूटूंगा, मगर आज नामोंनिशां नहीं कण कण धूल हुआ, चीखती रही अकेले यूं ख़ामोशियों कहीं चिलचिलाती धूप थी और अस्तित्व मिटता रहा बलिदान का विरासत में मिला शख्स बहुत बूढ़ा था, अपने खानदान का दिवस के उस क्षण का जो अनायास बिखेरती रही उम्मीदें मेरी चला गया नयन कुछ मांग रहे थे उसी फटे पुराने लिबास में मिलेगा प्रेम वही जो सौंपा है प्राण पखेरू उखड़े उसी आस में।। ©Shilpa Yadav "

White बहुत दर्प था दर्द को मेरे न टूटूंगा, मगर आज नामोंनिशां नहीं कण कण धूल हुआ, चीखती रही अकेले यूं ख़ामोशियों कहीं चिलचिलाती धूप थी और अस्तित्व मिटता रहा बलिदान का विरासत में मिला शख्स बहुत बूढ़ा था, अपने खानदान का दिवस के उस क्षण का जो अनायास बिखेरती रही उम्मीदें मेरी चला गया नयन कुछ मांग रहे थे उसी फटे पुराने लिबास में मिलेगा प्रेम वही जो सौंपा है प्राण पखेरू उखड़े उसी आस में।। ©Shilpa Yadav

#good_evening_images#shilpayadavpoetry#oldage#विरासत Ravi Ranjan Kumar Kausik Internet Jockey Neel Niaz (Harf) ANOOP PANDEY poonam atrey Ruchi Jha BenZil (बैंज़िल) - @छोटे हार्दिक Bhanu Priya Vijay Kumar Niaa_choubey Anshu writer Dr Anoop Bhardwaj Only Budana

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