थपक-थपक के जिन्हें हम सुलाते रहते हैं वो ख़्वाब हम | हिंदी Shayari Vid

"थपक-थपक के जिन्हें हम सुलाते रहते हैं वो ख़्वाब हम को हमेशा जगाते रहते हैं :::::::::::::::::::::::::::::: किसी को खोजते हैं हम किसी के पैकर में किसी का चेहरा किसी से मिलाते रहते हैं :::::::::::::::::::::::::::::::: वो नक़्श-ए-ख़्वाब मुकम्मल कभी नहीं होता तमाम उम्र जिसे हम बनाते रहते ©Arshe Alam "

थपक-थपक के जिन्हें हम सुलाते रहते हैं वो ख़्वाब हम को हमेशा जगाते रहते हैं :::::::::::::::::::::::::::::: किसी को खोजते हैं हम किसी के पैकर में किसी का चेहरा किसी से मिलाते रहते हैं :::::::::::::::::::::::::::::::: वो नक़्श-ए-ख़्वाब मुकम्मल कभी नहीं होता तमाम उम्र जिसे हम बनाते रहते ©Arshe Alam

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