उलझी उलझी रात है" तन बदन में टूटती अंगदाइयों की च | हिंदी शायरी V

"उलझी उलझी रात है" तन बदन में टूटती अंगदाइयों की चुभन, महकती जुल्फों से खेलती उंगलियां नाराज हैं। ना चांद नजर आता है कहीं ना तारे, घटाएं काटने को दौड़तीं, ये कैसी उलझी उलझी रात है। ©Anuj Ray "

उलझी उलझी रात है" तन बदन में टूटती अंगदाइयों की चुभन, महकती जुल्फों से खेलती उंगलियां नाराज हैं। ना चांद नजर आता है कहीं ना तारे, घटाएं काटने को दौड़तीं, ये कैसी उलझी उलझी रात है। ©Anuj Ray

# उलझी उलझी रात है"

People who shared love close

More like this

Trending Topic