रास्तों की शुक्रगुजार हूं मैं, पर क्या मंजिल भी मे | हिंदी शायरी

"रास्तों की शुक्रगुजार हूं मैं, पर क्या मंजिल भी मेरा रस्ता देख रही होगी..... मैंने आंखों में पाला है उसको , क्या मुझे बांहों में भरने कहीं वो भी खड़ी होगी..... ©Ajnabii Inherself"

 रास्तों की शुक्रगुजार हूं मैं,
पर क्या मंजिल भी
मेरा रस्ता देख रही होगी.....
मैंने आंखों में पाला है उसको ,
क्या मुझे बांहों में भरने 
कहीं वो भी खड़ी होगी.....

©Ajnabii Inherself

रास्तों की शुक्रगुजार हूं मैं, पर क्या मंजिल भी मेरा रस्ता देख रही होगी..... मैंने आंखों में पाला है उसको , क्या मुझे बांहों में भरने कहीं वो भी खड़ी होगी..... ©Ajnabii Inherself

#safarnama @Anshu writer @Internet Jockey shamawritesBebaak_शमीम अख्तर @Satyaprem Upadhyay @Chandramukhi Mourya Bhagat

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