सपनों के पुल से हक़ीक़त की जमीन पर उतर जाए।
थामकर तेरा हाथ सपनें मेरी निगाह में ही उतर जाए।
देखकर तेरी संगमरमर सी काया होश खो चुके हम,
करके फ़क़त तस्व्वुर तेरे हुस्न का चाँद निखर जाए।
लहरा दो ग़र तुम आँचल हवा में, थम जाए धड़कन,
खोलो बंदिशें जुल्फों की तो दिन में रात बिखर जाए।
लेकर चलती हो नज़ाकत से जो हाथों में एक जादू,
तमन्ना आशिक़ों की तेरी आँखों में शाम गुजर जाए।
सपनों के पुल पर बैठकर भी तज़ब्ज़ुब में दिल मिरा,
इन सपनों की कीमत में किसी के साँसें न ठहर जाए।
♥️ Challenge-880 #collabwithकोराकाग़ज़
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