कोई चैन से सो रहा है शहर बेचकर, कोई सुहाग बचा रहा | हिंदी शायरी

"कोई चैन से सो रहा है शहर बेचकर, कोई सुहाग बचा रहा जेवर बेचकर, बाप ने उमर गुजार दी घरोंदे बनाने में, बेटा उसकी सांसे खरीद रहा है घर बेचकर, बर्बाद हो गये कई घर दवा खरीदने में, कुछ लोगों की तिज़ोरी भर गई जहर बेचकर !! ©Faisal"

 कोई चैन से सो रहा है शहर बेचकर, कोई सुहाग बचा रहा जेवर बेचकर, बाप ने उमर गुजार दी घरोंदे बनाने में, बेटा उसकी सांसे खरीद रहा है घर बेचकर, बर्बाद हो गये कई घर दवा खरीदने में, कुछ लोगों की तिज़ोरी भर गई जहर बेचकर !!

©Faisal

कोई चैन से सो रहा है शहर बेचकर, कोई सुहाग बचा रहा जेवर बेचकर, बाप ने उमर गुजार दी घरोंदे बनाने में, बेटा उसकी सांसे खरीद रहा है घर बेचकर, बर्बाद हो गये कई घर दवा खरीदने में, कुछ लोगों की तिज़ोरी भर गई जहर बेचकर !! ©Faisal

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