दोस्तों की दुनियां को मेरा नमस्कार, प्रणाम,
# जैसे -जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हम सुन्दर होते जाते हैं, सुन्दर इस मायने में कि हमारी जिद्द कम हो जाती है, हमारी समझ बढ़ जाती है,रंग रूप ढलता जरूर है लेकिन हमारी भीतरी सुन्दरता का रंग-रूप परवान चढ़ता है, हमारी दूसरों से अपेक्षाएं खत्म हो जाती है और उपेक्षा की तलवार कुंद हो जाती है, कोई कितनी भी उपेक्षा करे हम परवाह करना छोड़ देते हैं, जरूरतें नहीं के बराबर रह जाती है, जीवन क्षणभंगुर है यह सच अनायास ही मुंह चिढ़ाने लगता है जब कुछ दोस्त ,कुछ रिश्तेदार साथ छोड़ कर अंतिम विदाई लेते हैं,यह सच जीने की ताकत देता है मन के भीतर की सुन्दरता और अधिक निखरती है, चेहरे पर उभर आई झुर्रियां के बीच जब मुस्कराहट अपना रंग बिखेरती है महसूस होता है कि ईश्वर की अनुपम कृति सामने खड़ी है। यही है खूबसूरती है
©Beena Kumari
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