फ़िक्र तो तेरी आज भी करते है हम, बस जिक्र करने का ह | हिंदी शायरी

"फ़िक्र तो तेरी आज भी करते है हम, बस जिक्र करने का हक नहीं रहा..."

 फ़िक्र तो तेरी आज भी करते है हम, बस जिक्र करने का हक नहीं रहा...

फ़िक्र तो तेरी आज भी करते है हम, बस जिक्र करने का हक नहीं रहा...

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