कैसे नेह लगाऊं हे प्रभु जी , मन पापी ना होने दे। च | हिंदी Video

"कैसे नेह लगाऊं हे प्रभु जी , मन पापी ना होने दे। चाहूं तेरे पास मैं आना, पास मुझे ना आने दे। ध्यान धरूं , मंदिर भी जाऊं, पर मन भटके इधर उधर। तन रहता मंदिर में लेकिन, ध्यान है रहता इधर उधर। राह चलूं जब जब भक्ति की, राह मुझे ना चलने दे। दूर जो होता कोई तुमसे, मन भक्ति में लागे ना। राह गलत है या कि सही है, इतना भी उसे सूझे ना। जोर है रहता इसका इतना,दूर ना खुद से होने दे। कैसे कटेगा जीवन मेरा, दूर रहूंगा जो तुमसे। मेरे प्रभू जी इतना बता दो, भूल हुई है क्या मुझसे। हार गिरा अब दर पर तेरे, और मुझे ना गिरने दे। ©नागेन्द्र किशोर सिंह "

कैसे नेह लगाऊं हे प्रभु जी , मन पापी ना होने दे। चाहूं तेरे पास मैं आना, पास मुझे ना आने दे। ध्यान धरूं , मंदिर भी जाऊं, पर मन भटके इधर उधर। तन रहता मंदिर में लेकिन, ध्यान है रहता इधर उधर। राह चलूं जब जब भक्ति की, राह मुझे ना चलने दे। दूर जो होता कोई तुमसे, मन भक्ति में लागे ना। राह गलत है या कि सही है, इतना भी उसे सूझे ना। जोर है रहता इसका इतना,दूर ना खुद से होने दे। कैसे कटेगा जीवन मेरा, दूर रहूंगा जो तुमसे। मेरे प्रभू जी इतना बता दो, भूल हुई है क्या मुझसे। हार गिरा अब दर पर तेरे, और मुझे ना गिरने दे। ©नागेन्द्र किशोर सिंह

# कैसे नेह लगाऊं # भक्ति गीत # स्वरचित

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