सच में तुम बहुत सुंदर लगती थी
सहज थी तुम तो सुंदर लगती थी
सरल थी तुम तो सुंदर लगती थी
मुझे तेरी बाह्य सुंदरता से क्या लेना देना
निश्चल निर्मल थी तुम तो सुंदर लगती थी
मेरे उर को छूती थी कोमल भावनाएं तेरी
हॄदय से जीती थी तुम तो सुंदर लगती थी
रूप- लावण्य, शैल- श्रृंगार में प्रीति नहीं थी मेरी
मेरी वेदनाओं को पीती थी तुम तो सुंदर लगती थी
अल्हड़ नदी की कलकल धार सी थी तुम तो सुंदर लगती थी
गिरते मेघदूत की गीत मल्हार सी थी तुम तो सुंदर लगती थी
अतिशय विशाल हॄदय की स्वामिनी थी तुम तो सुंदर लगती थी
निश्चल निष्काम प्रेम की कामिनी थी तुम तो सुंदर लगती थी
सहज थी तुम
सरल थी तुम
मेरे दिल की धड़कन थी तुम
मुझसे प्यार करती थी तो सुंदर लगती थी
©MoHiTRoCk F44
#MohitRockF44 #poeatry #hindi_poetry #hindi_shayari
poetry on love
@vineetapanchal Santosh Narwar Aligarh @Kshitija @Niaz (Harf) @Andy Mann Dayal "दीप, Goswami..
सच में तुम बहुत सुंदर लगती थी
सहज थी तुम तो सुंदर लगती थी
सरल थी तुम तो सुंदर लगती थी