जिम्मेदारीया मजबूर कर देती हैं जनाब वरना कोन कम्ब | हिंदी Shayari

"जिम्मेदारीया मजबूर कर देती हैं जनाब वरना कोन कम्बकत अपनी गली मे जीना नहीं चाहता"

 जिम्मेदारीया मजबूर कर देती हैं जनाब 
वरना कोन कम्बकत अपनी गली मे जीना नहीं चाहता

जिम्मेदारीया मजबूर कर देती हैं जनाब वरना कोन कम्बकत अपनी गली मे जीना नहीं चाहता

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