Men walking on dark street एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बूढ़े आदमी रहते थे। उनका नाम रामू था। रामू को हमेशा अपने गाँव के बच्चों के साथ खेलना अच्छा लगता था। वह उन्हें अपने ज्ञान और अनुभव से भरपूर कहानियाँ सुनाते रहते थे।
एक दिन, गाँव में एक बड़ा मेला आया। सभी गाँव वाले मेले की तैयारी में जुट गए। रामू भी मेले में गये। वहाँ उन्होंने एक विचित्र और रोमांचक खेल देखा।
वहाँ कुछ लोग अपनी आँखों पर पट्टी बाँध कर गुफा में घुस जाते थे। फिर वह लोग अन्दर से आने वाली चीज़ों को सही तरह से पहचान लेते थे। यह दृश्य रामू को बहुत अजीब लगा।
रामू ने उनसे पूछा, "यह कैसा खेल है?"
एक व्यक्ति ने उत्तर दिया, "यह खेल है 'अंधेरे में उजाला'। हमें अंधेरे में चीज़ों को पहचानने की कला सिखाई जाती है।"
रामू ने भी उनके साथ खेलने का निर्णय किया। उन्होंने भी अपनी आँखों पर पट्टी बाँधी और घुफा में चले गए।
अचानक रामू के सामने एक आलू का प्याला आया। उन्होंने चिरका लगाया और कहा, "यह एक आलू है।"
उसके बाद उन्होंने आलू को काटा और कहा, "अब यह दो टुकड़े हो गया है।"
सभी लोग चौंक गए। रामू ने सबको अपने अंदर की ताकत और ज्ञान दिखा दिया था। उनका यह कामायाबी सभी को हैरान कर दिया।
इससे सबको सीख मिली कि हमें अपनी अद्भुत क्षमताओं पर विश्वास रखना चाहिए, चाहे अंधेरे कितने भी गहरे क्यों न हों।
©Pooja
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