एक अनजाना अनसुलझा रहस्य है
क्यों कोई खींचें अपनी ओर
लगें जहां बसा था सदियों पहले
एक सुंदर सा जीवन मेरा
मिल लूं जैसे आज फिर उनसे
हस लू नाचूं मैं जी भर के
बांध घुंघरू पांवों में जैसे कदम है थिरके
वैसे मिल लू सबसे आज मैं उड़के।
©Sarita Kumari Ravidas
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