हर रोज़ मैंने उसकी यादों का पौधा उखाड़ना चाहा की हर | हिंदी Shayari

"हर रोज़ मैंने उसकी यादों का पौधा उखाड़ना चाहा की हर रोज़ मेरे अश्कों ने उस पौधे को सवारना चाहा -शफरी"

 हर रोज़ मैंने उसकी यादों का पौधा उखाड़ना चाहा
की हर रोज़ मेरे अश्कों ने उस पौधे को सवारना चाहा

-शफरी

हर रोज़ मैंने उसकी यादों का पौधा उखाड़ना चाहा की हर रोज़ मेरे अश्कों ने उस पौधे को सवारना चाहा -शफरी

हर रोज़ मैंने उसकी यादों का पौधा उखाड़ना चाहा
की हर रोज़ मेरे अश्कों ने उस पौधे को सवारना चाहा

-शफरी
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Har roz maine uski yaadon ka paudha ukhadna chaha

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