#FourLinePoetry कितने मजबूर है हम, की आकर बैठे हो | हिंदी शायरी

"#FourLinePoetry कितने मजबूर है हम, की आकर बैठे हो तुम दर पे हमारे, और हम बेदर हुए तुमको पुकारे.. जैसे किसी नदियां से ना मिले किनारे, जैसे अम्बर और धरती एक दूजे को दूर से निहारे..!!! ©Khushboo Sharma"

 #FourLinePoetry कितने मजबूर है हम, की आकर बैठे हो तुम दर पे हमारे,
और हम बेदर हुए तुमको पुकारे.. जैसे किसी नदियां से ना मिले किनारे, जैसे अम्बर और धरती एक दूजे को दूर से निहारे..!!!

©Khushboo Sharma

#FourLinePoetry कितने मजबूर है हम, की आकर बैठे हो तुम दर पे हमारे, और हम बेदर हुए तुमको पुकारे.. जैसे किसी नदियां से ना मिले किनारे, जैसे अम्बर और धरती एक दूजे को दूर से निहारे..!!! ©Khushboo Sharma

कितने मजबूर है हम, की आकर बैठे हो तुम दर पे हमारे,
और हम बेदर हुए तुमको पुकारे.. जैसे किसी नदियां से ना मिले किनारे, जैसे अम्बर और धरती एक दूजे को दूर से निहारे..!!!

#fourlinepoetry

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