पुरानी यादों का पिटारा तो किसी भी वक़्त खुल सकता ह

"पुरानी यादों का पिटारा तो किसी भी वक़्त खुल सकता है, उनमें से कुछ यादे चेहरे पर मुस्कुराहट दे जाती है,तो कुछआँखो को आँसुओं से भर जाती है, हमें बस उन यादों को साथ लेकर नई यादें सँजोते रहना है। -pandya Rimple @shabdo_ni_suvas_ ©shabdo ni suvas"

 पुरानी यादों का पिटारा तो किसी भी वक़्त खुल सकता है,
उनमें से कुछ यादे चेहरे पर मुस्कुराहट दे जाती है,तो कुछआँखो को आँसुओं से भर जाती है,
हमें बस उन यादों को साथ लेकर नई यादें सँजोते रहना है। 

-pandya Rimple
@shabdo_ni_suvas_

©shabdo ni suvas

पुरानी यादों का पिटारा तो किसी भी वक़्त खुल सकता है, उनमें से कुछ यादे चेहरे पर मुस्कुराहट दे जाती है,तो कुछआँखो को आँसुओं से भर जाती है, हमें बस उन यादों को साथ लेकर नई यादें सँजोते रहना है। -pandya Rimple @shabdo_ni_suvas_ ©shabdo ni suvas

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