मेरी प्रेम की जेब में जो तुम्हारा प्रेम था वो ना ज | English Poetry Vi

"मेरी प्रेम की जेब में जो तुम्हारा प्रेम था वो ना जाने कहाँ गिर गया जेब की सिलन ना जाने कैसे खुल गई मैंने बहुत ढूँढा लेकिन प्रेम खो गया था मैं उस आख़िरी जगह पर भी गया था जहाँ तुमने मेरे जेब के ऊपर सुई से टांके मारे मेरी आँखें बंद करके ,मुझे वहाँ मेरी जेब का एक धागा मिला पड़ा मिलावो धागा मेरे जेब के नीचे वाली सिलन का था ऊपर तो भरोसे के धागे के मजबूत गीठे दिख रहे थे ,लेकिन नीचे से जेब कतर सी दी गई थी ख़ैर मैं वो पट्टी को अब हटा रहा हूँ आँखों से जो बंधी ना होकर भी कितने दिनों से बंधी थी कहना चाहता हूँ बहुत कुछ, जो ना कह सका उन बातों को सुन लेना तुम दिल में है बहुत सारे एहसास, मेरे उन अनकहे अल्फाजो को सुन लेना तुम ©Pawan Dvivedi "

मेरी प्रेम की जेब में जो तुम्हारा प्रेम था वो ना जाने कहाँ गिर गया जेब की सिलन ना जाने कैसे खुल गई मैंने बहुत ढूँढा लेकिन प्रेम खो गया था मैं उस आख़िरी जगह पर भी गया था जहाँ तुमने मेरे जेब के ऊपर सुई से टांके मारे मेरी आँखें बंद करके ,मुझे वहाँ मेरी जेब का एक धागा मिला पड़ा मिलावो धागा मेरे जेब के नीचे वाली सिलन का था ऊपर तो भरोसे के धागे के मजबूत गीठे दिख रहे थे ,लेकिन नीचे से जेब कतर सी दी गई थी ख़ैर मैं वो पट्टी को अब हटा रहा हूँ आँखों से जो बंधी ना होकर भी कितने दिनों से बंधी थी कहना चाहता हूँ बहुत कुछ, जो ना कह सका उन बातों को सुन लेना तुम दिल में है बहुत सारे एहसास, मेरे उन अनकहे अल्फाजो को सुन लेना तुम ©Pawan Dvivedi

#Blossom

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