हां सच है ये मैं बदल गया हूँ, मैं बहुत असभ्य हो ग | हिंदी शायरी Video

"हां सच है ये मैं बदल गया हूँ, मैं बहुत असभ्य हो गया हूँ। मुझे लोगों में दिलचस्पी नही रही अब, मुझमें महफिलों की मस्ती नही रही अब। मुझे हर बात पर खुश होना नही आता है, मुझे हर मुस्कुराता चेहरा नही भाता है। दुःख कितना भी हो अब मेरे आंसू नही बहते, ढह जाए धरती पूरी मेरे पत्थर हृदय नही ढहते। दिन से ज्यादा मैं रात का इंतजार करता हूँ, क्योंकि दिन में मैं दुनिया से और रात में खुद से मिलता हूँ। लोगों को लगता है उनकी तरह आम इंसान हूं मैं, लेकिन खुद में पूरा ब्रम्हाण्ड जीने वाला गुमनाम इंसान हूं मै। ©Ajay Mishra "

हां सच है ये मैं बदल गया हूँ, मैं बहुत असभ्य हो गया हूँ। मुझे लोगों में दिलचस्पी नही रही अब, मुझमें महफिलों की मस्ती नही रही अब। मुझे हर बात पर खुश होना नही आता है, मुझे हर मुस्कुराता चेहरा नही भाता है। दुःख कितना भी हो अब मेरे आंसू नही बहते, ढह जाए धरती पूरी मेरे पत्थर हृदय नही ढहते। दिन से ज्यादा मैं रात का इंतजार करता हूँ, क्योंकि दिन में मैं दुनिया से और रात में खुद से मिलता हूँ। लोगों को लगता है उनकी तरह आम इंसान हूं मैं, लेकिन खुद में पूरा ब्रम्हाण्ड जीने वाला गुमनाम इंसान हूं मै। ©Ajay Mishra

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