अब्र बरसे तो इनायत उसकी, शाख़ तो सिर्फ दुआ करती है

"अब्र बरसे तो इनायत उसकी, शाख़ तो सिर्फ दुआ करती है, मसअला जब भी चराग़ों का उठा, फ़ैसला सिर्फ हवाऐं करती हैं."

 अब्र बरसे तो इनायत उसकी,
शाख़ तो सिर्फ दुआ करती है,
मसअला जब भी चराग़ों का उठा,      फ़ैसला सिर्फ हवाऐं करती हैं.

अब्र बरसे तो इनायत उसकी, शाख़ तो सिर्फ दुआ करती है, मसअला जब भी चराग़ों का उठा, फ़ैसला सिर्फ हवाऐं करती हैं.

#Waah

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