मोहब्बत भरा आपके सामने, मैंने यह कलाम रख दिया || | हिंदी Shayari

"मोहब्बत भरा आपके सामने, मैंने यह कलाम रख दिया || एक दिन मिल गई अचानक उनसे नजर मेरी, उस नजर का मोहब्बत उसने नाम रख दिया || जाने कब हो गई इतनी मोहब्बत उसे मुझसे, अपना हाल-ए-दिल मेरे सामने उसने एक शाम रख दिया|| मैं ना था जिससे वाकिफ भी बिल्कुल, सामने उसने मेरे ऐसा इंतिहान रख दिया || ना जाने कब वो इतना रूबरू हो गई मुझसे, आशिकों में सबसे ऊपर उसने मेरा नाम रख दिया|| पड़ गया यह सागर भी प्यार में उनके, इस नाचीज़ का जनाब #सागर उसने मेरा नाम रख दिया|| ©Virendra Sagar"

 मोहब्बत भरा आपके सामने,
मैंने यह कलाम रख दिया || 

एक दिन मिल गई अचानक  उनसे नजर मेरी,
उस नजर का मोहब्बत  उसने नाम रख दिया ||

जाने कब हो गई इतनी मोहब्बत उसे मुझसे, 
अपना हाल-ए-दिल मेरे सामने उसने एक शाम रख दिया||
मैं ना था जिससे वाकिफ भी बिल्कुल, 
सामने उसने मेरे ऐसा इंतिहान रख दिया ||

ना जाने कब वो इतना रूबरू हो गई मुझसे, 
आशिकों में सबसे ऊपर उसने मेरा नाम रख दिया||

पड़ गया यह सागर भी प्यार में उनके,  
इस नाचीज़ का जनाब #सागर उसने मेरा नाम रख दिया||

©Virendra Sagar

मोहब्बत भरा आपके सामने, मैंने यह कलाम रख दिया || एक दिन मिल गई अचानक उनसे नजर मेरी, उस नजर का मोहब्बत उसने नाम रख दिया || जाने कब हो गई इतनी मोहब्बत उसे मुझसे, अपना हाल-ए-दिल मेरे सामने उसने एक शाम रख दिया|| मैं ना था जिससे वाकिफ भी बिल्कुल, सामने उसने मेरे ऐसा इंतिहान रख दिया || ना जाने कब वो इतना रूबरू हो गई मुझसे, आशिकों में सबसे ऊपर उसने मेरा नाम रख दिया|| पड़ गया यह सागर भी प्यार में उनके, इस नाचीज़ का जनाब #सागर उसने मेरा नाम रख दिया|| ©Virendra Sagar

#sagar sahab

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