मैं क्यों रहूं व्यथित तनिक भी?, मैंने तपती दुपहरी | हिंदी Shayari

"मैं क्यों रहूं व्यथित तनिक भी?, मैंने तपती दुपहरी में पेड़ों को लहराते देखा है !! ©Shivam Yadav"

 मैं क्यों रहूं व्यथित तनिक भी?,
मैंने तपती दुपहरी में पेड़ों को लहराते देखा है !!

©Shivam Yadav

मैं क्यों रहूं व्यथित तनिक भी?, मैंने तपती दुपहरी में पेड़ों को लहराते देखा है !! ©Shivam Yadav

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