ग़ज़ल :-
नज़्म हम आपसे उठाते हैं ।
आपको देख मुस्कराते हैं ।।१
आज बरसो हुए लिए फेरे ।
गिफ्ट तुमको चलो दिलाते हैं ।।२
प्यार कब बाँटते यहाँ बच्चे ।
प्यार तो और ये बढाते हैं ।।३
हाथ जब भी लगा तेरे आटा ।
रुख से लट तब हमीं हटाते हैं ।।४
जब भी आयी विवाह तारीखें ।
घर को खुशियों से हम सजाते हैं ।।५
घर के बाहर कभी न थी खुशियाँ ।
सोचकर शाम घर बिताते हैं ।।६
दीप बुझने न दूँ मुहब्बत का ।
नाम का तेरे सुर लगाते हैं ।।७
है खुशी का महौल घर में अब ।
बच्चे किलकारियां लगाते हैं ।।८
हाथ मेरा न छोड देना कल ।
जी न पाये प्रखर बताते हैं ।।९
महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :-
नज़्म हम आपसे उठाते हैं ।
आपको देख मुस्कराते हैं ।।१