ना समय की सीमा नापते है, ना खाने का रहता होश हमे। | हिंदी Poetry

"ना समय की सीमा नापते है, ना खाने का रहता होश हमे। कभी भूखे भी सो जाते है, सपनों की उम्मीद लिए।। किताबें सिरहाने रखकर, जेहन में दुनिया के ताने रखकर। रातों की नींद गवाते है हम, सपनों की उम्मीद लिए।। ©Rimpi chaube"

 ना समय की सीमा नापते है,
ना खाने का रहता होश हमे।
कभी भूखे भी सो जाते है,
सपनों की उम्मीद लिए।।
किताबें सिरहाने रखकर,
जेहन में दुनिया के ताने रखकर।
रातों की नींद गवाते है हम,
सपनों की उम्मीद लिए।।

©Rimpi chaube

ना समय की सीमा नापते है, ना खाने का रहता होश हमे। कभी भूखे भी सो जाते है, सपनों की उम्मीद लिए।। किताबें सिरहाने रखकर, जेहन में दुनिया के ताने रखकर। रातों की नींद गवाते है हम, सपनों की उम्मीद लिए।। ©Rimpi chaube

#सपनों_की_उम्मीद_लिए 🧑‍💻📚
ना समय की सीमा नापते है,
ना खाने का रहता होश हमे।
कभी भूखे भी सो जाते है,
सपनों की उम्मीद लिए।।
किताबें सिरहाने रखकर,
जेहन में दुनिया के ताने रखकर।
रातों की नींद गवाते है हम,

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