जब भी हम अपनी खुशियों को ढूंढते है तो बाहर ढूंढते | हिंदी विचार

"जब भी हम अपनी खुशियों को ढूंढते है तो बाहर ढूंढते है जबकि वो बाहर नहीं हमारे भीतर ही मिलती है जीवन की यह कश्मकश बहुत उलझा देती है हमें इसे हम जब भी उदास होकर अंदर ढूंढेंगे ये हमें अंदर मिल ही नहीं पाएगी ये ही हमारे जिंदगी की एक शुरुआत कहलाती है ©Samriddhi"

 जब भी हम अपनी खुशियों को ढूंढते है तो बाहर ढूंढते है जबकि वो बाहर नहीं हमारे भीतर ही मिलती है
जीवन की यह कश्मकश बहुत उलझा देती है
हमें 
इसे हम जब भी उदास होकर अंदर ढूंढेंगे
ये हमें अंदर मिल ही नहीं पाएगी
ये ही हमारे जिंदगी की एक शुरुआत कहलाती है

©Samriddhi

जब भी हम अपनी खुशियों को ढूंढते है तो बाहर ढूंढते है जबकि वो बाहर नहीं हमारे भीतर ही मिलती है जीवन की यह कश्मकश बहुत उलझा देती है हमें इसे हम जब भी उदास होकर अंदर ढूंढेंगे ये हमें अंदर मिल ही नहीं पाएगी ये ही हमारे जिंदगी की एक शुरुआत कहलाती है ©Samriddhi

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