Dear 2020 तुम अच्छे थे, बुरे थे जैसे भी थे पर काफ

"Dear 2020 तुम अच्छे थे, बुरे थे जैसे भी थे पर काफी सच्चे थे यार लोगों को शिकायतें बहुत हैं तुमसे मुझे भी है, आखिर हो भी क्यों ना ? इस भाग दौड़ वाली ज़िन्दगी में तुमने लोगों रुकना सीखा दिया। किसी को ज़िन्दगी बचाने के ख़ातिर कोस चलना सीखा दिया। ना जाने तुमने कितनो की ज़िन्दगी छीनी तो कितनो को बेरोजगार बनाया, हा ये सच है की तुमने लोगों को बहुत सताया हैं। वो वक्त सबसे कठिन था जब लोग Depression का शिकार हो रहे थे, ओर मैं भी उनमे से एक थी पर कहते है ना बूरा वक्त उस अंधेरे रात की तरह होता है जो सुबह होते ही गायब हो जाता तो इसी उम्मीद में हम भी हैं ये वक्त भी टल जाएगा। पर जब हर चीज़ के दो पहलू होते है अच्छाई ओर बुराई तो हम सिर्फ तुम्हारी बुराई को ही क्यों देखें ? Dear 2020 शुक्रिया * शुक्रिया ज़िन्दगी के सही मायने सिखाने के लिए। * शुक्रिया अपने और गैर में फर्क समझाने के लिए। * शुक्रिया झूठे रिश्ते से बाहर निकलने के लिए। * शुक्रिया हमसे हमारी छुपी हुई हुनर को बाहर निकालवाने के लिए । * शुक्रिया कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता ये समझाने के लिए । * शुक्रिया उन माँ बाप को अपने बच्चों से मिलवाने के लिए जिनके बेटे छुट्टी नहीं है कहकर बरसों से घर आए नहीं थे। बस जाते जाते एक दुआ कर जाना फिर ऐसा कोई साल ना आए। ©suman mishra (immature.writer__)"

 Dear 2020

तुम अच्छे थे, बुरे थे जैसे भी थे पर काफी सच्चे थे यार 
लोगों को शिकायतें बहुत हैं तुमसे मुझे भी है, आखिर हो भी क्यों ना ? इस भाग दौड़ वाली ज़िन्दगी में तुमने लोगों रुकना सीखा दिया। किसी को ज़िन्दगी बचाने के ख़ातिर कोस चलना सीखा दिया।  ना जाने तुमने कितनो की ज़िन्दगी छीनी तो कितनो को बेरोजगार बनाया, हा ये सच है की तुमने लोगों को बहुत सताया हैं। वो वक्त सबसे कठिन था जब लोग Depression का शिकार हो रहे थे, ओर मैं भी उनमे से एक थी पर कहते है ना बूरा वक्त उस अंधेरे रात की तरह होता है जो सुबह होते ही गायब हो जाता तो इसी उम्मीद में हम भी हैं ये वक्त भी टल जाएगा। 
पर जब हर चीज़ के दो पहलू होते है अच्छाई ओर बुराई तो हम सिर्फ तुम्हारी बुराई को ही क्यों देखें ?

Dear 
       2020
               शुक्रिया 

* शुक्रिया ज़िन्दगी के सही मायने सिखाने के लिए। 
* शुक्रिया अपने और गैर में फर्क समझाने के लिए। 
* शुक्रिया झूठे रिश्ते से बाहर निकलने के लिए। 
* शुक्रिया हमसे हमारी छुपी हुई हुनर को बाहर निकालवाने    
    के लिए ।
* शुक्रिया कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता ये 
   समझाने के लिए ।
* शुक्रिया उन माँ बाप को अपने बच्चों से मिलवाने के लिए  
   जिनके बेटे छुट्टी नहीं है कहकर बरसों से घर आए नहीं 
    थे। 
              बस जाते जाते एक दुआ कर जाना फिर ऐसा कोई साल ना आए।

©suman mishra (immature.writer__)

Dear 2020 तुम अच्छे थे, बुरे थे जैसे भी थे पर काफी सच्चे थे यार लोगों को शिकायतें बहुत हैं तुमसे मुझे भी है, आखिर हो भी क्यों ना ? इस भाग दौड़ वाली ज़िन्दगी में तुमने लोगों रुकना सीखा दिया। किसी को ज़िन्दगी बचाने के ख़ातिर कोस चलना सीखा दिया। ना जाने तुमने कितनो की ज़िन्दगी छीनी तो कितनो को बेरोजगार बनाया, हा ये सच है की तुमने लोगों को बहुत सताया हैं। वो वक्त सबसे कठिन था जब लोग Depression का शिकार हो रहे थे, ओर मैं भी उनमे से एक थी पर कहते है ना बूरा वक्त उस अंधेरे रात की तरह होता है जो सुबह होते ही गायब हो जाता तो इसी उम्मीद में हम भी हैं ये वक्त भी टल जाएगा। पर जब हर चीज़ के दो पहलू होते है अच्छाई ओर बुराई तो हम सिर्फ तुम्हारी बुराई को ही क्यों देखें ? Dear 2020 शुक्रिया * शुक्रिया ज़िन्दगी के सही मायने सिखाने के लिए। * शुक्रिया अपने और गैर में फर्क समझाने के लिए। * शुक्रिया झूठे रिश्ते से बाहर निकलने के लिए। * शुक्रिया हमसे हमारी छुपी हुई हुनर को बाहर निकालवाने के लिए । * शुक्रिया कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता ये समझाने के लिए । * शुक्रिया उन माँ बाप को अपने बच्चों से मिलवाने के लिए जिनके बेटे छुट्टी नहीं है कहकर बरसों से घर आए नहीं थे। बस जाते जाते एक दुआ कर जाना फिर ऐसा कोई साल ना आए। ©suman mishra (immature.writer__)

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