✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा ला | हिंदी Video

"✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 राम नाम अति मीठा है कोई गा के/भज के देख ले तनिक ..., एक बार एक राजा ने गाँव में राम कथा करवाई और कहा की सभी ब्राह्मणो को राम कथा के लिए आमंत्रित किया जाय , राजा ने सबको राम कथा पढने के लिए यथा स्थान दिया..., एक ब्राह्मण अंगुटा छाप था उसको पठना लिखना कुछ आता नही था , वो ब्राह्मण सबसे पीछे बैठ गया , और सोचा की जब पास वाला पन्ना पलटेगा तब मैं भी पलट दूंगा.. , काफी देर देखा की पास बैठा व्यक्ति पन्ना नही पलट रहा है, उतने में राजा श्रदा पूर्वक सबको नमन करते चक्कर लगाते लगाते उस सज्जन के समीप आने लगे, तो उस ने एक ही रट लगादी की "अब राजा पूछेगा तो क्या कहूँगा "-"अब राजा पूछेगा तो क्या कहूँगा "? उस सज्जन की ये बात सुनकर पास में बैठा व्यक्ति भी रट लगाने लग गया ,की "तेरी गति सो मेरी गति -तेरी गति सो मेरी गति ," उतने में तीसरा व्यक्ति बोला ," ये पोल कब तक चलेगी -ये पोल कब तक चलेगी ? चोथा बोला,जबतक चलता है चलने दे -जबतक चलता है चलने दे , वे चारों अपने सिर नीचे किये इस तरह की रट लगाये बैठे हैं की ... 1 "अब राजा पूछेगा तो क्या कहूँगा.. 2 "तेरी गति सो मेरी गति.. 3 "ये पोल कब तक चलेगी.. 4 "जबतक चलता है चलने दे.. जब राजा ने उन चारों के स्वर सुने , राजा ने पूछा की ये सब क्या गा रहे है, ऐसे प्रसंग तो रामायण में हम ने पहले कभी नही सुने ... उतने में ,एक महात्मा उठे और बोले महाराज ये सब रामायण का ही प्रसंग बता रहे है : पहला व्यक्ति है ये बहुत विद्वान है , ये बात सुमन ने ( अयोध्याकाण्ड ) में कही , राम लक्ष्मण सीता जी को वन में छोड़ , घर लौटते है तब ये बात सुमन कहते हैं की -"अब राजा पूछेंगे तो क्या कहूँगा ? ...अब राजा पूछेंगे तो क्या कहूँगा ? फिर कहा की ये दूसरा कहता है की -तेरी गति सो मेरी गति , महात्मा बोले महाराज ये तो इनसे भी ज्यादा विद्द्वान है ,( किष्किन्धाकाण्ड ) में जब हनुमान जी, राम लक्ष्मण जी को अपने दोनों कंधे पर बिठा कर सुग्रीव के पास गए तब ये बात राम जी ने कही थी की , सुग्रीव ! तेरी गति सो मेरी गति , तेरी पत्नीको बाली ने रख लिया और मेरी पत्नी का रावण ने हरण कर लिया.. राजा ने आदरसे फिर पूछा , की महात्मा जी ! ये तीसरा बोल रहा है की ये पोल कब तक चलेगी , ये बात कभी किसी संत ने नही कही ? , बोले महाराज ये तो और भी ज्ञानी है ,( लंकाकाण्ड ) में अंगद जी ने रावण की भरी सभा में अपना पैर जमाया , तब ये प्रसंग मेधनाथ ने अपने पिता रावन से किया की, पिता श्री ! ये पोल कब तक चलेगी , पहले एक वानर आया और वो हमारी लंका जला कर चला गया , और अब ये कहता है की मेरे पैर को कोई यहाँ से हटा दे तो भगवान श्री राम बिना युद्द किये वापिस लौट जायेंगे..., फिर राजा बोले की ये चोथा क्या बोल रहा है ? वो बोले महाराज ये इतना बड़ा विद्वान है की कोई इनकी बराबरी कर ही नही सकता ,ये मंदोदरी की बात कर रहे है , मंदोदरी ने कई बार रावण से कहा की , स्वामी ! आप जिद्द छोड़, सीता जी को आदर सहित राम जी को सौंप दीजिये अन्यथा अनर्थ हो जायगा , तब ये बात रावण ने मंदोदरी से कही की ( जबतक चलता है चलने दे )..., मेरे तो दोनों हाथ में लड्डू है ,अगर मैं राम के हाथो मारा गया तो मेरी मुक्ति हो जाएगी , इस अदम शरीर से भजन -वजन तो कुछ होता नही , और में युद्द जीत गया तो त्रिलोकी में भी मेरी जय जयकार हो जाएगी.. , राजा इन सब बातो से चकित रह गए बोले की आज हमे ऐसा अदभुत प्रसंग सूनने को मिला जिसे की आज तक हमने नही सुना , राजा इतने प्रसन्न हुए की उस महात्मा से बोले की आप जो कहें वो दान देने को राजी हूँ मैं इन ब्राह्मणों को ..., उस महात्मा ने उन अनपढ़ अंगुटा छाप ब्रहमिन भक्तो को अनेको दान दक्षिणा दिलवा दी ... इन सब बातो का एक ही सार है की कोई अज्ञानी , कोई नास्तिक , कोई कैसा भी क्यों न हो , रामायण , भागवत ,जैसे महान ग्रंथो को श्रदा पूर्वक छूने मात्र से ही सब संकटो से मुक्त हो जाता है , और अगर वो भगवान का सच्चा प्रेमी हो तो उनकी तो बात ही क्या है , मत पूछिये की वे कितने धनी हो जाते हैं ...! 🚩🌹जय जय श्री राम 🌹🚩 अपनी दुआओं में हमें याद रखें 🙏 बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! विकास शर्मा "शिवाया " जयपुर -राजस्थान "ASTRO सर्व समाधान " ©Vikas Sharma Shivaaya' "

✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 राम नाम अति मीठा है कोई गा के/भज के देख ले तनिक ..., एक बार एक राजा ने गाँव में राम कथा करवाई और कहा की सभी ब्राह्मणो को राम कथा के लिए आमंत्रित किया जाय , राजा ने सबको राम कथा पढने के लिए यथा स्थान दिया..., एक ब्राह्मण अंगुटा छाप था उसको पठना लिखना कुछ आता नही था , वो ब्राह्मण सबसे पीछे बैठ गया , और सोचा की जब पास वाला पन्ना पलटेगा तब मैं भी पलट दूंगा.. , काफी देर देखा की पास बैठा व्यक्ति पन्ना नही पलट रहा है, उतने में राजा श्रदा पूर्वक सबको नमन करते चक्कर लगाते लगाते उस सज्जन के समीप आने लगे, तो उस ने एक ही रट लगादी की "अब राजा पूछेगा तो क्या कहूँगा "-"अब राजा पूछेगा तो क्या कहूँगा "? उस सज्जन की ये बात सुनकर पास में बैठा व्यक्ति भी रट लगाने लग गया ,की "तेरी गति सो मेरी गति -तेरी गति सो मेरी गति ," उतने में तीसरा व्यक्ति बोला ," ये पोल कब तक चलेगी -ये पोल कब तक चलेगी ? चोथा बोला,जबतक चलता है चलने दे -जबतक चलता है चलने दे , वे चारों अपने सिर नीचे किये इस तरह की रट लगाये बैठे हैं की ... 1 "अब राजा पूछेगा तो क्या कहूँगा.. 2 "तेरी गति सो मेरी गति.. 3 "ये पोल कब तक चलेगी.. 4 "जबतक चलता है चलने दे.. जब राजा ने उन चारों के स्वर सुने , राजा ने पूछा की ये सब क्या गा रहे है, ऐसे प्रसंग तो रामायण में हम ने पहले कभी नही सुने ... उतने में ,एक महात्मा उठे और बोले महाराज ये सब रामायण का ही प्रसंग बता रहे है : पहला व्यक्ति है ये बहुत विद्वान है , ये बात सुमन ने ( अयोध्याकाण्ड ) में कही , राम लक्ष्मण सीता जी को वन में छोड़ , घर लौटते है तब ये बात सुमन कहते हैं की -"अब राजा पूछेंगे तो क्या कहूँगा ? ...अब राजा पूछेंगे तो क्या कहूँगा ? फिर कहा की ये दूसरा कहता है की -तेरी गति सो मेरी गति , महात्मा बोले महाराज ये तो इनसे भी ज्यादा विद्द्वान है ,( किष्किन्धाकाण्ड ) में जब हनुमान जी, राम लक्ष्मण जी को अपने दोनों कंधे पर बिठा कर सुग्रीव के पास गए तब ये बात राम जी ने कही थी की , सुग्रीव ! तेरी गति सो मेरी गति , तेरी पत्नीको बाली ने रख लिया और मेरी पत्नी का रावण ने हरण कर लिया.. राजा ने आदरसे फिर पूछा , की महात्मा जी ! ये तीसरा बोल रहा है की ये पोल कब तक चलेगी , ये बात कभी किसी संत ने नही कही ? , बोले महाराज ये तो और भी ज्ञानी है ,( लंकाकाण्ड ) में अंगद जी ने रावण की भरी सभा में अपना पैर जमाया , तब ये प्रसंग मेधनाथ ने अपने पिता रावन से किया की, पिता श्री ! ये पोल कब तक चलेगी , पहले एक वानर आया और वो हमारी लंका जला कर चला गया , और अब ये कहता है की मेरे पैर को कोई यहाँ से हटा दे तो भगवान श्री राम बिना युद्द किये वापिस लौट जायेंगे..., फिर राजा बोले की ये चोथा क्या बोल रहा है ? वो बोले महाराज ये इतना बड़ा विद्वान है की कोई इनकी बराबरी कर ही नही सकता ,ये मंदोदरी की बात कर रहे है , मंदोदरी ने कई बार रावण से कहा की , स्वामी ! आप जिद्द छोड़, सीता जी को आदर सहित राम जी को सौंप दीजिये अन्यथा अनर्थ हो जायगा , तब ये बात रावण ने मंदोदरी से कही की ( जबतक चलता है चलने दे )..., मेरे तो दोनों हाथ में लड्डू है ,अगर मैं राम के हाथो मारा गया तो मेरी मुक्ति हो जाएगी , इस अदम शरीर से भजन -वजन तो कुछ होता नही , और में युद्द जीत गया तो त्रिलोकी में भी मेरी जय जयकार हो जाएगी.. , राजा इन सब बातो से चकित रह गए बोले की आज हमे ऐसा अदभुत प्रसंग सूनने को मिला जिसे की आज तक हमने नही सुना , राजा इतने प्रसन्न हुए की उस महात्मा से बोले की आप जो कहें वो दान देने को राजी हूँ मैं इन ब्राह्मणों को ..., उस महात्मा ने उन अनपढ़ अंगुटा छाप ब्रहमिन भक्तो को अनेको दान दक्षिणा दिलवा दी ... इन सब बातो का एक ही सार है की कोई अज्ञानी , कोई नास्तिक , कोई कैसा भी क्यों न हो , रामायण , भागवत ,जैसे महान ग्रंथो को श्रदा पूर्वक छूने मात्र से ही सब संकटो से मुक्त हो जाता है , और अगर वो भगवान का सच्चा प्रेमी हो तो उनकी तो बात ही क्या है , मत पूछिये की वे कितने धनी हो जाते हैं ...! 🚩🌹जय जय श्री राम 🌹🚩 अपनी दुआओं में हमें याद रखें 🙏 बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! विकास शर्मा "शिवाया " जयपुर -राजस्थान "ASTRO सर्व समाधान " ©Vikas Sharma Shivaaya'

✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️

🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

राम नाम अति मीठा है कोई गा के/भज के देख ले तनिक ...,

एक बार एक राजा ने गाँव में राम कथा करवाई और कहा की सभी ब्राह्मणो को राम कथा के लिए आमंत्रित किया जाय , राजा ने सबको राम कथा पढने के लिए यथा स्थान दिया...,

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