मतवाली आँखें लफ्ज़ कम पड़ जाएंगे इन आंखों की तारीफ | हिंदी शायरी

"मतवाली आँखें लफ्ज़ कम पड़ जाएंगे इन आंखों की तारीफ मे, तुम्हारी इन आंखों पर एक किताब लिख दूं क्या। डूब गए होंगे कितने ही दरिया तुम्हारी इन आंखों में झील सी इन आंखों को समंदर का नाम दे दूं क्या देख ले जो एक बार तुम्हारी इन आंखों में, उसके डूबने का इलज़ाम, इन आँखों को दे दूँ क्या बढ़ जाता है नशा और और भी ज्यादा पीते हैं जब तुम्हारी इन नशीली आंखों से तुम्हारी इन आंखों को, साकी का नाम दे दूं क्या। लफ्ज़ कम पड़ जाएंगे इन आंखों की तारीफ में, तुम्हारी इन आंखों पर, एक किताब लिख दूं क्या। © श।यर देव Thakur"

 मतवाली आँखें लफ्ज़ कम पड़ जाएंगे इन आंखों की तारीफ मे,
 तुम्हारी इन आंखों पर एक किताब लिख दूं क्या।

डूब गए होंगे कितने ही दरिया तुम्हारी इन आंखों में 
झील सी इन आंखों को समंदर का नाम दे दूं क्या 

देख ले जो एक बार तुम्हारी इन आंखों में,
उसके डूबने का इलज़ाम,  इन आँखों को दे दूँ क्या

बढ़ जाता है नशा और और भी ज्यादा 
 पीते हैं जब तुम्हारी  इन नशीली आंखों से 
 तुम्हारी  इन आंखों को, साकी  का नाम दे दूं क्या।

 लफ्ज़ कम पड़ जाएंगे इन आंखों की तारीफ में,
 तुम्हारी इन आंखों पर, एक किताब लिख दूं क्या।

©        श।यर देव Thakur

मतवाली आँखें लफ्ज़ कम पड़ जाएंगे इन आंखों की तारीफ मे, तुम्हारी इन आंखों पर एक किताब लिख दूं क्या। डूब गए होंगे कितने ही दरिया तुम्हारी इन आंखों में झील सी इन आंखों को समंदर का नाम दे दूं क्या देख ले जो एक बार तुम्हारी इन आंखों में, उसके डूबने का इलज़ाम, इन आँखों को दे दूँ क्या बढ़ जाता है नशा और और भी ज्यादा पीते हैं जब तुम्हारी इन नशीली आंखों से तुम्हारी इन आंखों को, साकी का नाम दे दूं क्या। लफ्ज़ कम पड़ जाएंगे इन आंखों की तारीफ में, तुम्हारी इन आंखों पर, एक किताब लिख दूं क्या। © श।यर देव Thakur

आंखें

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