ये सोच कर गुजार देंगे चार दिन की ज़िंदगी कोई हमार | हिंदी Shayari

"ये सोच कर गुजार देंगे चार दिन की ज़िंदगी कोई हमारा हम-सफ़र नहीं हुआ तो क्या हुआ मेरे किसी रकीब की दुआ कुबूल हो गई नसीब के-ए-यार ग़र नहीं हुआ तो क्या हुआ हवा ने क्यूँ बना लिया है फ़ासला चराग़ से ? जवाब दो ये खौफ़ -ओ दर नहीं हुआ तो क्या हुआ वो बे पनाह हसीन है तो मैं फकत हसीन हूँ हसीन हूँ हसीन तर नहीं हुआ तो क्या हुआ यहां पे सब्र कीजिए ये कार-ज़ार -ए इश्क है जो चाहते थे वो अगर नहीं हुआ तो क्या हुआ ये शहर -ए बेवफ़ा के लोग कब वफ़ा -परस्त हैं वफ़ा का ज़िक्र रात भर नहीं हुआ तो क्या हुआ हर एक शै पलट रही है अपनी अस्ल की तरफ़ अगर मैं आख़िरी बशर नहीं हुआ तो क्या हुआ हमारा मस'अला है हम खुदा से क्यूँ गिला करें वो महावर-ए-दिल-ओ नज़र नहीं हुआ तो क्या हुआ ©Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...!"

 ये सोच कर गुजार देंगे चार दिन की ज़िंदगी 
कोई हमारा हम-सफ़र नहीं हुआ तो क्या हुआ 

मेरे किसी रकीब की दुआ कुबूल हो गई 
नसीब के-ए-यार ग़र नहीं हुआ तो क्या हुआ 

हवा ने क्यूँ बना लिया है फ़ासला चराग़ से ?
जवाब दो ये खौफ़ -ओ दर नहीं हुआ तो क्या हुआ 

वो बे पनाह हसीन है तो मैं फकत हसीन हूँ 
हसीन हूँ हसीन तर नहीं हुआ तो क्या हुआ 

यहां पे सब्र कीजिए ये कार-ज़ार -ए इश्क है 
जो चाहते थे वो अगर नहीं हुआ तो क्या हुआ 

ये शहर -ए बेवफ़ा के लोग कब वफ़ा -परस्त हैं 
वफ़ा का ज़िक्र रात भर नहीं हुआ तो क्या हुआ 

हर एक शै पलट रही है अपनी अस्ल की तरफ़ 
अगर मैं आख़िरी बशर नहीं हुआ तो क्या हुआ 

हमारा मस'अला है हम खुदा से क्यूँ गिला करें 
वो महावर-ए-दिल-ओ नज़र नहीं हुआ तो क्या हुआ

©Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...!

ये सोच कर गुजार देंगे चार दिन की ज़िंदगी कोई हमारा हम-सफ़र नहीं हुआ तो क्या हुआ मेरे किसी रकीब की दुआ कुबूल हो गई नसीब के-ए-यार ग़र नहीं हुआ तो क्या हुआ हवा ने क्यूँ बना लिया है फ़ासला चराग़ से ? जवाब दो ये खौफ़ -ओ दर नहीं हुआ तो क्या हुआ वो बे पनाह हसीन है तो मैं फकत हसीन हूँ हसीन हूँ हसीन तर नहीं हुआ तो क्या हुआ यहां पे सब्र कीजिए ये कार-ज़ार -ए इश्क है जो चाहते थे वो अगर नहीं हुआ तो क्या हुआ ये शहर -ए बेवफ़ा के लोग कब वफ़ा -परस्त हैं वफ़ा का ज़िक्र रात भर नहीं हुआ तो क्या हुआ हर एक शै पलट रही है अपनी अस्ल की तरफ़ अगर मैं आख़िरी बशर नहीं हुआ तो क्या हुआ हमारा मस'अला है हम खुदा से क्यूँ गिला करें वो महावर-ए-दिल-ओ नज़र नहीं हुआ तो क्या हुआ ©Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...!

#Apocalypse

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