White किसी को मुकम्मल जहाँ मिला किसी को दो वक़्त क | हिंदी शायरी

"White किसी को मुकम्मल जहाँ मिला किसी को दो वक़्त की रोटी तक नसीब ना हुई कोई सोया सोने- चांदी के महलों में किसी को सोने के लिए सुखी ज़मीं तक ना दी गई ©Pavitra Sutparai Magar"

 White किसी को मुकम्मल जहाँ मिला
किसी को दो वक़्त की रोटी तक नसीब ना हुई

कोई सोया सोने- चांदी के महलों में
किसी को सोने के लिए सुखी ज़मीं तक ना दी गई

©Pavitra Sutparai Magar

White किसी को मुकम्मल जहाँ मिला किसी को दो वक़्त की रोटी तक नसीब ना हुई कोई सोया सोने- चांदी के महलों में किसी को सोने के लिए सुखी ज़मीं तक ना दी गई ©Pavitra Sutparai Magar

#sad_shayari #Poetry

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