फरेब देकर उसका जिस्म जीत लो ऐसा धोखा देना मेरा ओजा | हिंदी शायरी

"फरेब देकर उसका जिस्म जीत लो ऐसा धोखा देना मेरा ओजार नहीं है हमें मुंह मै चासनी हाथों में हतियार नहीं है बदलने को तो हम भी बदल सकते हैं महबूब के खातिर मुझे मेरा दिल दिल है बाजार नहीं है ©KingBadshah4522"

 फरेब देकर उसका जिस्म जीत लो ऐसा धोखा देना मेरा ओजार नहीं है हमें मुंह मै चासनी हाथों में हतियार नहीं है बदलने को तो हम भी बदल सकते हैं महबूब के खातिर मुझे मेरा दिल दिल है बाजार नहीं है

©KingBadshah4522

फरेब देकर उसका जिस्म जीत लो ऐसा धोखा देना मेरा ओजार नहीं है हमें मुंह मै चासनी हाथों में हतियार नहीं है बदलने को तो हम भी बदल सकते हैं महबूब के खातिर मुझे मेरा दिल दिल है बाजार नहीं है ©KingBadshah4522

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