नए नए स्कूल में अनजान थे सब,
जैसे नए जगह में नई पहचान थे सब,
सब ने मिल कर मुझे बहुत सताया था,
ना जाने किसने मेरा बस्ता छुपाया था,
एक तरफ़ शिकायत करने को तत्पर मैं,
दूसरी तरफ़ मेरा बस्ता थामे थे तुम,
उस पल में जो समझ आया कह सुनाया मैंने,
फिर बड़बड़ाते हुए मेरा बस्ता पटक गए थे तुम,
हमारी दोस्ती ही झगड़े से शुरू हुई थी,
वक्त बेवक्त लड़ लिया करते थे हम।
©Mehak (Sahiba)