कुछ बात करो आओ बैठो पास मिरे कुछ बात करो साझा | हिंदी कविता

"कुछ बात करो आओ बैठो पास मिरे कुछ बात करो साझा मुझसे अपने तुम जज़्बात करो हो जाए बदनाम हमारी दोस्ती  तुम पैदा ऐसे ना कोई हालात करो। रख दिया खोलकर मन जब आप के सामने  अब मन के घावों पर नहीं आघात करो तुम कहते हो मैं हूं सूखा फलहीन शजर  तो अलाव में उपयोग डार और पात करो  कह दूं अलविदा मैं आप की महफ़िल को   मगर बार आखिरी हंसकर तो मुलाकात करो। स्वरचित बीना राय गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश ©Beena"

 कुछ बात करो



आओ बैठो पास मिरे कुछ बात करो

साझा मुझसे अपने तुम जज़्बात करो


हो जाए बदनाम हमारी दोस्ती 

तुम पैदा ऐसे ना कोई हालात करो।


रख दिया खोलकर मन जब आप के सामने 

अब मन के घावों पर नहीं आघात करो


तुम कहते हो मैं हूं सूखा फलहीन शजर 

तो अलाव में उपयोग डार और पात करो


 कह दूं अलविदा मैं आप की महफ़िल को 

 मगर बार आखिरी हंसकर तो मुलाकात करो।


स्वरचित 

बीना राय

गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश

©Beena

कुछ बात करो आओ बैठो पास मिरे कुछ बात करो साझा मुझसे अपने तुम जज़्बात करो हो जाए बदनाम हमारी दोस्ती  तुम पैदा ऐसे ना कोई हालात करो। रख दिया खोलकर मन जब आप के सामने  अब मन के घावों पर नहीं आघात करो तुम कहते हो मैं हूं सूखा फलहीन शजर  तो अलाव में उपयोग डार और पात करो  कह दूं अलविदा मैं आप की महफ़िल को   मगर बार आखिरी हंसकर तो मुलाकात करो। स्वरचित बीना राय गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश ©Beena

#दोस्त

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