इस तरह हम दो थे ००००००० तुम अपने आकाश पर आज़ाद मै | हिंदी Poetry

"इस तरह हम दो थे ००००००० तुम अपने आकाश पर आज़ाद मैं अपनी ज़मीन पर तुम अपनी ज़मीन पर आज़ाद मैं अपने आकाश पर एक सफर में इस तरह हम दो थे जिनको एक पेड़ की सबसे ज्यादा ज़रूरत है ©Naresh Kumar khajuria"

 इस तरह हम दो थे
०००००००

तुम अपने आकाश पर
आज़ाद
मैं अपनी ज़मीन पर


तुम अपनी ज़मीन पर
आज़ाद
मैं अपने आकाश पर

एक सफर में 
इस तरह हम दो थे
जिनको एक पेड़ की 
सबसे ज्यादा ज़रूरत है

©Naresh Kumar khajuria

इस तरह हम दो थे ००००००० तुम अपने आकाश पर आज़ाद मैं अपनी ज़मीन पर तुम अपनी ज़मीन पर आज़ाद मैं अपने आकाश पर एक सफर में इस तरह हम दो थे जिनको एक पेड़ की सबसे ज्यादा ज़रूरत है ©Naresh Kumar khajuria

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