ग़ज़ल :- आर्यावृत संविधान है देखा । जनता करती सम्मान | हिंदी शायरी

"ग़ज़ल :- आर्यावृत संविधान है देखा । जनता करती सम्मान है देखा ।।१ तुमने तुर्की जपान है देखा । पर मैने हिन्दुस्तान है देखा ।।२ अपना भारत है इक ऐसा भारत । जिसमे नेता महान है देखा ।।३ इस पत्थर दिल की नगरी में हमने । बनते उसको इंसान है देखा ।। ४ हिन्दू करता मूरत की पूजा तो । पढ़ता मुस्लिम अज़ान है देखा ।।५ उनका ये बढ़ता प्रेम ही जग में । हर मुश्किल का निदान है देखा ।।६ होली औ ईद दीवाली पर भी । रखते वे सबका ध्यान है देखा ।।७  २५/०१/२०२४  --   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 ग़ज़ल :-
आर्यावृत संविधान है देखा ।
जनता करती सम्मान है देखा ।।१

तुमने तुर्की जपान है देखा ।
पर मैने हिन्दुस्तान है देखा ।।२

अपना भारत है इक ऐसा भारत ।
जिसमे नेता महान है देखा ।।३

इस पत्थर दिल की नगरी में हमने ।
बनते उसको इंसान है देखा ।। ४

हिन्दू करता मूरत की पूजा तो ।
पढ़ता मुस्लिम अज़ान है देखा ।।५

उनका ये बढ़ता प्रेम ही जग में ।
हर मुश्किल का निदान है देखा ।।६

होली औ ईद दीवाली पर भी ।
रखते वे सबका ध्यान है देखा ।।७

 २५/०१/२०२४  --   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- आर्यावृत संविधान है देखा । जनता करती सम्मान है देखा ।।१ तुमने तुर्की जपान है देखा । पर मैने हिन्दुस्तान है देखा ।।२ अपना भारत है इक ऐसा भारत । जिसमे नेता महान है देखा ।।३ इस पत्थर दिल की नगरी में हमने । बनते उसको इंसान है देखा ।। ४ हिन्दू करता मूरत की पूजा तो । पढ़ता मुस्लिम अज़ान है देखा ।।५ उनका ये बढ़ता प्रेम ही जग में । हर मुश्किल का निदान है देखा ।।६ होली औ ईद दीवाली पर भी । रखते वे सबका ध्यान है देखा ।।७  २५/०१/२०२४  --   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :-
आर्यावृत संविधान है देखा ।
जनता करती सम्मान है देखा ।।१

तुमने तुर्की जपान है देखा ।
पर मैने हिन्दुस्तान है देखा ।।२

अपना भारत है इक ऐसा भारत ।

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