नजर बस एक नजर की नज़र चाहती है
ये पागल तुम्हारी हाले खबर चाहती है
मालुम है मुझे कि मंजिल मै नही तुम्हारी
ये जीस्त बस कुछ दिनो का सफर चाहती है
मोहब्बत मे नही पाना कोई बात नई नही
जिन्दगी तुम्हे खोने के बाद का सबर चाहती है
कहा जिन्दा मै रहती हुँ तुम्हारे दूर जाने पर
साँसे अब तुम्हारे बिन चलने का बसर चाहती है
थोड़ी गुस्ताख हो जाती है नजरे देख कर तुम्हे
अब शर्म अपनी ये अपनी अदब चाहती है
सफर मे टेक आने पर जरा रुकना जरुरी है
ये सफर अब हयात का एक अज़ल चाहती है
#ishq