मौसम बेईमान था,बादल चारो तरफ काले थे, हाल मेरा भी | हिंदी शायरी
"मौसम बेईमान था,बादल चारो तरफ काले थे,
हाल मेरा भी कूछ यू ही था,उसके जो हवाले थे
मैं प्यार निभाने कि रस्म अदा करता रहा,वो पीठ पीछे हसती रही,,,
ठौकर भी तब लगी,जब पता चला साप मैने ही आस्तीन के पाले थे,,"
मौसम बेईमान था,बादल चारो तरफ काले थे,
हाल मेरा भी कूछ यू ही था,उसके जो हवाले थे
मैं प्यार निभाने कि रस्म अदा करता रहा,वो पीठ पीछे हसती रही,,,
ठौकर भी तब लगी,जब पता चला साप मैने ही आस्तीन के पाले थे,,